भूगोल एवं आपदा प्रबंधन 2025

भूगोल एवं आपदा प्रबंधन 2025

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पूरे भारत में भीड़भाड़ वाले भवनों मेंअग्नि दुर्घटनाएं चिंताजनक रूप से आम होती जा रही है जैसे हैदराबाद और कोलकाता के एक होटल में लगी आग जिसमें बच्चों समेत 50 से अधिक लोगों की मौत हुई और वही अजमेर में अगनि दुर्घटना में चार लोगों की जान चली गई।

शहरी क्षेत्र और अग्नि घटनाएं

शहरीकरण और अवसंरचना के मुद्दे

अवैध निर्माण: अनाधिकृत भवन 3 मीटर के सेटबैक नियम का उल्लंघन करते हैं जिससे वेंटिलेशन और अग्निशमन वाहन की पहुंच बाधित होती है।

यहां तक की स्वीकृत भवनों में भी प्राय: अग्नि प्रतिरोधी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता, साथ ही पुराने वायरिंग और ओवरलोडेड सिस्टम आग लगने का खतरा बढ़ा देते हैं।

निम्न स्तरीय शहरी नियोजन:भीड़भाड़ वाली बस्तियों और संकरी गलियों के कारण अग्निशमन वाहनों के पहुंचने में देरी होती है तथा बचाव कार्यों में बाधा आती है जबकि राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) 2016 के अनुसार 15 मीटर से ऊंचे भवनों में काम से कम 1 मीटर चौड़ाई वाली दो बंद सीढ़ियों का होना अनिवार्य है, लेकिन कई पुराने भवनों में केवल एक ही सीढ़ी होती है, जो आग लगने की स्थिति में जानलेवा साबित होती है।

शासन संबंधी चुनौतियां

राजनीतिक हस्तक्षेप: अवैध कॉलोनियों को अक्सर चुनाव के दौरानअग्नि सुरक्षा उन्नयन के बिना नियमित कर दिया जाता है, जबकि दिल्ली के वर्ष 2019 अग्नि सुरक्षा संशोधन जैसे सख्त नियमों को बिल्डरों के दबाव में वापस ले लिया गया है।

जन जागरूकता का अभाव:निवासी और व्यावसायिक प्रतिष्ठान अक्षर अग्नि सुरक्षा अभ्यासों की अनदेखी करते हैं तथा निकासी मार्गों से अपरिचित होने के कारण फंस जाते हैं, इसके अतिरिक्त वाणिज्यिक स्थलों का उपयोग सीढ़ियों में भंडारण या तहखानों में अवैध फैक्टरियों के रूप में किया जाता है।

भारत में प्रमुख अग्नि सुरक्षा नियम

राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC): यह भारत में अग्नि सुरक्षा के लिए प्रमुख मानक के रूप में कार्य करता है, जो भवनों के सामान्य निर्माण, रखरखाव, निकासी मार्गों और अग्नि सुरक्षा उपायों पर दिशा- निर्देश प्रदान करता है।

मॉडल बिल्डिंग उपनियम 2016:यह अपने प्रमुख प्रावधानों जैसे निर्माण के लिए अग्नि विरोधी सामग्रियों का उपयोग, अग्नि अलार्मऔर पहचान प्रणालियों की स्थापना, धुआँ जमा होने से बचने के लिए पर्याप्त प्राकृतिक प्रकाश तथा वेंटिलेशन आदि के माध्यम से अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

अग्नि निवारण एवं अग्नि सुरक्षा अधिनियम 2005:यह अधिनियम भवनों में अग्नि सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है और सभी राज्यों द्वारा पालन किया जाना आवश्यक है ताकि अग्नि सुरक्षा तथा रोकथाम से संबंधित कानूनों को समेकित एवं अज्ञतन किया जा सके।

उपाय

आधुनिकीकरण

स्मार्ट आर्किटेक्चर: कम पाइपलाइन वाले क्रोमियम फायर इंजन तक पहुंच में सहायता प्रदान की जाती है, जबकि स्थापत्य डिटेक्शन और अग्नि प्रतिरोधी सामग्री अग्नि सुरक्षा को बढ़ावा दिया जाता है इंस्टिट्यूशन में रिट्रेक्टेबल सीढ़ियां अतिरिक्त आपातकालीन निकास उपलब्ध कराती है।

सुरक्षित औद्योगिक प्रतिष्ठान

औद्योगिक जोखिम प्रबंधन:कंपनी को खतरनाक गोदामों के उपयोग को समाप्त करना चाहिए और सुरक्षित स्टॉक अपनाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन:

नवीनताएँ: अग्निरोधक के रूप में हरित स्थान अग्निशमन भंडारों के लिए तथाअग्नि जोखिमों का पूर्वानुमान करने के लिए पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण, अग्नि निवारण और प्रतिक्रिया रणनीतियों को बेहतर बना सकते हैं।

निष्कर्ष

इस प्रकार शहरी आग का खतरा स्थिर नहीं है- जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या घनत्व और तकनीकी जटिलता के साथ विकसित होता है हालाँकि शहर शक्तिहीन नहीं है नवाचार, सहयोग और सक्रिय शासन को अपनाकर पारिस्थितिकी तंत्र में बदल सकते हैं जो कल की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है आग के प्रति प्रतिरोधी शहरों का खाका मौजूद है; अब इसे बनाने का समय आ गया है।

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