MPSC सेंटर शिफ्ट पर बवाल: कुकी छात्र संगठन ने गुवाहाटी ट्रांसफर का किया विरोध, कहा- उम्मीदवारों के साथ अन्या

कुकी छात्र संगठन (केएसओ), दिल्ली एवं एनसीआर ने मणिपुर लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) द्वारा हाल ही में लिए गए उस निर्णय का तीव्र विरोध किया है, जिसमें आगामी मुख्य परीक्षा का स्थल चुराचांदपुर जिले से गुवाहाटी, असम में स्थानांतरित किया गया है। संगठन का मानना है कि यह निर्णय छात्रों के हितों के खिलाफ है और इससे स्थानीय छात्रों को परीक्षा में भाग लेने में कठिनाई होगी। केएसओ ने इस कदम को अनुचित और भेदभावपूर्ण करार देते हुए मणिपुर के छात्रों की आवाज को दबाने का प्रयास बताया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि परीक्षा स्थल को पुनः चुराचांदपुर में ही रखा जाए, ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिल सके और वे अपनी मातृभूमि में ही परीक्षा देने का लाभ उठा सकें।

छात्र संगठन ने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक औपचारिक ज्ञापन भेजते हुए इस निर्णय को “अन्यायपूर्ण और बोझिल” करार दिया है। संगठन का मानना है कि यह निर्णय विशेष रूप से संघर्ष से प्रभावित कुकी समुदाय के उम्मीदवारों के लिए अत्यंत कठिनाई उत्पन्न करेगा। उनका तर्क है कि इस प्रकार के निर्णय न केवल सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि उन लोगों के लिए भी बाधाएं खड़ी करते हैं जो पहले से ही विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस संदर्भ में, छात्र संगठन ने राज्यपाल से अपील की है कि वे इस निर्णय पर पुनर्विचार करें और कुकी समुदाय के उम्मीदवारों के हितों की रक्षा के लिए उचित कदम उठाएं।

छात्रों का कहना है कि राज्य के बाहर परीक्षा आयोजित करने का निर्णय मणिपुर में लंबे समय से चल रही जातीय हिंसा के कारण पहले से ही तनाव में जी रहे उम्मीदवारों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है। इस स्थिति में, जहां युवा लोग पहले ही मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, ऐसे में परीक्षा के लिए दूरस्थ स्थान पर जाना उनके लिए और भी कठिनाई पैदा करेगा। यह न केवल उनकी तैयारी को प्रभावित करेगा, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। छात्रों का मानना है कि इस तरह के निर्णय से उनकी स्थिति और भी जटिल हो जाएगी, जिससे उन्हें अपनी क्षमताओं को सही तरीके से प्रदर्शित करने का अवसर नहीं मिलेगा।

यह पत्र स्पष्ट करता है कि यह निर्णय उन छात्रों के लिए न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि उनके लिए एक अतिरिक्त बोझ भी बन गया है। वर्तमान में, कई छात्र पहले से ही असाधारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, जो उनकी शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर रही हैं। ऐसे में इस निर्णय का प्रभाव उनके मानसिक स्वास्थ्य और शैक्षणिक प्रदर्शन पर नकारात्मक असर डाल सकता है। यह आवश्यक है कि इस स्थिति पर ध्यान दिया जाए और छात्रों की कठिनाइयों को समझते हुए उचित समाधान निकाला जाए, ताकि उन्हें इस कठिन समय में राहत मिल सके।

केएसओ के अध्यक्ष पाओजाखुप गुइटे और शिक्षा सचिव केरी जंगगौलेन खोंगसाई द्वारा जारी की गई अपील में यह चिंता व्यक्त की गई है कि चुराचांदपुर को परीक्षा केंद्रों से बाहर रखने का निर्णय शिक्षा तक समान पहुंच के सिद्धांतों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इस कदम को हाशिए पर पड़े समुदायों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए, इसे उनके लिए शिक्षा के अवसरों में असमानता पैदा करने के रूप में देखा जा रहा है। इस प्रकार, यह न केवल स्थानीय समुदाय की शिक्षा के अधिकारों को सीमित करता है, बल्कि समग्र रूप से समाज में समानता और न्याय के सिद्धांतों को भी कमजोर करता है।

केएसओ ने तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देते हुए राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वे इस महीने परीक्षा केंद्र को चूरनचंदपुर में स्थानांतरित करें। छात्रों ने इस मुद्दे को मानवीय और तार्किक दृष्टिकोण से उठाते हुए चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो उन्हें शैक्षणिक बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है। यह स्थिति छात्रों के भविष्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती है, और इसलिए, उनके इस आग्रह को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

तो दोस्तों, ये थी हमारी छोटी सी जानकारी अगर लगी हो तो इसे अपनी फैमिली और अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें और ऐसी ही लेटेस्ट अपडेट पाने के लिए हमारी साइट को फॉलो करें।

Author

Leave a Comment